Thursday, September 3, 2009

ताज, जैसा मैंने देखा- 1


ताज के शहर से हूं। इस बार घर में था तो सोचा क्यूं न चक्कर मार आया जाए तो अकेले ही निकल पड़े...मेरा मतलब बिल्कुल अकेले नहीं, कैम के साथ। ये तस्वीर ताज के चबूतरे के दायीं ओर बनी बेंच के पास लंबलेट होकर खींची गई है। शाही बनाने और पुरातनता देने के लिए मोनोक्रोम इस्तेमाल किया है।
(तस्वीर को बड़ा करके देखने के लिए उस पर क्लिक करें)

3 comments:

  1. nice picture
    y r today at my blog charcha page

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  2. प्रबुद्ध भाई, यह एंगल पसंद आया....आसमान छूता ताज और उस पर इठलाते रुई के फाहों-से बादल...
    भई वैसे, हम भी मूलत: ताज के शहर के ही हैं...
    खैर, उम्‍मीद है नियमित कुछ तस्‍वीरें ब्‍लॉग पर पोस्‍ट करते रहेंगे...

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  3. PJ.. d angle that u chose for this pic instantly reminded me of one of those camera classes with Rafey sir.. low angle...for magnanimity!

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