Wednesday, September 9, 2009

सूरज की करामात


पिछली पोस्ट में सूरज की करामात का ज़िक्र किया था तो इस पोस्ट में उसी कड़ी को आगे बढ़ा रहा हूं। उस रोशनी में कुछ ऐसा है कि वो जिसे चाहे उसे रहस्यमयी और दिलचस्प बना सकती है। एक साधारण तस्वीर को असाधारण बना सकते की क़ुव्वत उसी में है। मुझे नहीं लगता कि एक ख़ास तरह से सूरज भाई यहां मेहरबान नहीं होते तो ये तस्वीर ख़ूबसूरत बन पाती। आप क्या सोचते हैं?

1 comment:

  1. बेहतरीन तस्वीर। सब कुछ उसी के हाथ में है।

    ReplyDelete