कुछ वक़्त हुआ, तस्वीरों का मुझे जकड़ना शुरु किये हुए...यहां-वहां, इधर-उधर शॉट्स नज़र आने लगे हैं। कुछ पोर्ट्रेट, कुछ कुदरत की ख़ूबसूरती, कहीं बेहिसाब एहसास छिटके हुए...चुनौती देने के अंदाज़ में। जैसे कह रहे हों...अच्छा, कैमरा रखते हो, चलो हमें क़ैद करके दिखाओ। और मैं पागल, इनकी चालों को अनदेखा कर अपने कैम की एलसीडी में नतीजे देखकर माथा ठोकने वाला। च च च नहीं। साला, ढंग से आ नहीं पा रहा। और इतनी देर में वो सारे एहसास शॉट को बदल कर रख देंगे। अब आप लगे रहिए कभी ख़ुद को, कभी कैम की टाइमिंग को गरियाने। यही मज़ा है इस आर्ट का...जो पल जहां है जैसा है वैसा है, अगले पल का भरोसा नहीं। क़ैद करने की क़ाबिलयत हो तो कर लो वर्ना जी कुढ़ाओ।
ब्लॉगरी पहले से चल रही है लेकिन अपनी तस्वीरों के लिए नए घर की तलाश थी सो यहां इस पहली तस्वीर के साथ ये ब्लॉग शुरु कर रहा हूं जिस पर जो पल क़ैद कर सका उसको साझा करूंगा।
तस्वीरों के बारे में राय-मशवरा ज़रूर बांटते रहें, ऊर्जा मिलती रहेगी।
सब से सुन्दर और इस प्यारे से एहसास के लिये बहुत बहुत बधाई बहुत सुन्दर तस्वीर है
ReplyDeleteमुझे लगता है कि यदि और क्लोज-अप होता तो अधिक बेहतर लगती यह तस्वीर, मतलब मां-और बच्चों के चेहरे...संभवत: समझ गए होंगे..
ReplyDeleteसही वक़्त पे क्लिक
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर...स्वागत है.
ReplyDeleteआपकी तस्वीर को 5 स्टार देता हूं। वो भी पांच में से ही।
ReplyDeleteprakriti ki god men mamta kii chhav-beautiful
ReplyDeleteमैं बता नहीं सकता कि आपकी प्रतिक्रिया से कितनी हौसलाअफ़ज़ाई हुई है। इसके लिए शुक्रिया! @संदीप- आप शायद सही हैं,मैं चाहता तो आसानी से क्रॉप कर सकता था लेकिन पता नहीं क्यूं मुझे यूं उस स्ट्रक्टर के टॉप पर उनका बैठना भी चाहिए था। बाक़ी आगे भी अपनी क़ीमती राय रखकर ख़ामियां ज़रूर गिनाएं। बेहतर करने की कोशिश जारी रहेगी।
ReplyDeleteबिल्कुल प्रबुद्ध, स्ट्रक्चर पर बैठा होना जरूरी है, लेकिन मैं थोड़े से और क्लोज-अप की बात कर रहा था, स्ट्रक्चर हटा कर तो शायद उतनी अच्छी तस्वीर नहीं आती। शायद!
ReplyDeleteबेहतरीन,....। आभार ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर तस्वीर है,
ReplyDeleteदो बच्चे अपनी माँ की छाती से लिपटे हुए है, बिना किसी चिंता के, एक लम्बी यात्रा का सुरुआती दौर, माँ का आँचल, दुनिया की सबसे प्यारी जगह,
मैं कभी ज्यादा बच्चो के बिच नहीं रहा, पर मेरे भी घर आई एक नन्ही पारी, मेरी भतीजी, पता चला किस तरह एक छोटा बच्चा घर को खुशियों से भर देता है.
तस्वीरे जिन्दगी के हसी लम्हों को कैद करने का ज़बरदस्त तरीका है, जिस दिन से मैंने कैमरे वाला मोबाइल खरीदा उस दिन से मेरा भी लगाव तस्वीरो में बढ़ता गया, कई बार तस्वीरे हाथो हाथ इतनी अची नहीं लगती, पर जब कभी अलसाते हुए उन तस्वीरो से गुजरते है तो पता चलता है की कितना बड़ा खजाना है.
सोचता हु, एक अच सा कैमरा लू, मोबाइल में फोटो ज्यादा अच्छी नहीं आती,
@Wondering thoughts- मेरी मानिए, कैमरे में किया गया इन्वेस्टमेण्ट आपकी ज़िंदगी में किए गए उन चुनिंदा इन्वेस्टमेण्ट्स में से होगा जिसका आपको कभी कोई पछतावा नहीं होगा और फिर रिटर्न क्यूं भूल जाते हैं- छोटी-छोटी ख़ुशियों का अकूत ख़ज़ाना।
ReplyDeleteदेखा आप फ़ॉलोअर बन गए हैं...वादा रहा कि क़रीब-करीब रोज़ एक नई तस्वीर आपको मिलेगी। बेहतरी के लिए सुझाव ज़रूर देते रहें। तस्वीर अच्छी लगे तो ज़रा टिप्पणी से ही सही पीठ थपथपायेंगे तो भी बुरा नहीं लगेगा !
Ati Sundar...maja aaya...!
ReplyDeletenarayan narayan
ReplyDeleteबहुत ही ख़ूबसूरत तस्वीर है।
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