दफ़्तर में एक सहयोगी ने ये कह दिया कि जब उन्होंने पहली बार ताज देखा तो मुख्यद्वार से जैसे ही अंदर घुसे तो रो पड़े। भावनाओं का ज्वार उस इमारत को देखकर रुक नहीं सका। उफ़...शायरों की शायरी का हिस्सा जो हुआ ताज तो समझ आया क्यूं। ऐसे ही किन्ही दिनों में शायर के पन्नों पर अशआर की स्याही बिखरी होगी। ख़ैर...बहुत हुआ शायराना बखान...फ़िलहाल इन तस्वीरों का मज़ा लीजिए और अपनी राय देना न भूलें। आपकी हर राय के बाद कुछ नया पोस्ट करने का हौसला मिलता रहता है।
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taj ko aapki nazron se dekh kar man me taj se ru b roo hone ki tamanna jag gayi.
ReplyDeletemain north india/patna se hoon magar ab tak aagra aana nahi ho paya hai.
आईये जानें .... मैं कौन हूं!
ReplyDeleteआचार्य जी
bahut sundar hai aapka blog. ravish
ReplyDeleteवाह नि:संदेह बहुत सुंदर चित्र हैं आपके.
ReplyDeleteप्रबुद्ध जी
ReplyDeleteसभी तस्वीरें लाजवाब हैं………………ताज की खूबसूरती को बखुबी कैद किया है……………………हर तस्वीर मे लगता है जैसे ताज खुद बोलने वाला है…………………वाह वाह वाह्।
bahut achhe photo he
ReplyDeleteताज का सौन्दर्य तो अद्वितीय है । सुन्दर चित्र ।
ReplyDeleteआज मैं कुछ ताज मैं ही लिखना चाह रही थी और घूमते - घूमते आपके ब्लॉग मैं पहुंच गई और जब सामने ताज को इतना खुबसूरत देखा तो दिल फिर से कुछ लिखने को मचल गया |
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरत आपका ब्लॉग और आपकी फोटोग्राफी दिल खुश हो गया दोस्त |
वाह, बहुत सुंदर फोटो हैं.सच कहूँ तो ताज से अधिक मुझे बादल भा रहे हैं. ताज के ऊपर जो बादलों का ताज है उसका क्या कहना!
ReplyDeleteघुघूतीबासूती
वाह!
ReplyDeleteमैं सब तश्वीरे चुरा लूँ अगर बुरा न लगे।